ईश्वर के खाते -Accounts of God


ईश्वर के खाते -
Accounts of God

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जन्म
देते समय ईश्वर हर इन्सान के जीवन के कई खाते खोलता है !जो हमे ऋण और कैश देते है जिसके द्वारा हमे जीवन में
डिमोशन और पदोन्नति मिलती/पहले ईश्वर द्वारा बनाय गए खाते (Accounts ) कर्म के बारे में जानते है जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है तो जन्मसे 3 वर्ष की अवस्था तक का कोई भी अच्छा और बुरे कर्म का हिसाब किताब नहीं होता है उसके बाद आपके अच्छे कर्मो का हिसाब चालू होता है और 5 वर्ष की अवस्था के बाद आपके बुरे कर्मो का हिसाब किताब चालू हो जाता है /
जब हम अपने माता पिता गुरु जन और अन्य किसी को Bad Words यानि अपशब्द या भला बुरा कहते है या मारते है तो ये हमारे द्वारा किया गया बुरा कर्म है जिसको की ईश्वर आपको लोन के रूप में लेता है यानि आपने जो भी बुरा किया उसका फल आपको बाद में मिलेगा ब्याज सहित या यु कहे बुरा कहने या मार पिटाई करने से हमने जो गुस्सा किया वो हमे ऋण या लोन के रूप में हमारे कर्म के खाते में जोड़ दिया गया ... अब जब लोन लिया है तो चुकाना भी पड़ेगा ...लोन है तो ब्याज भी लगेगा .. / अब ये हमारे ऊपर है की हम अपने जीवन में कितना लोन लेते है क्योंकि चुकाना हमे ही पड़ेगा और अगर हमरी म्रत्यु हो गई तो हमारे बच्चो को चुकाना पड़ेगा तो ऐसे कर्म मत करो की आपको तो भोगना ही पडे साथ में आपकी संतानों और उनकी संतानों को भी भोगना पडे ..
और जब हम अपने जीवन में बुरे कर्म नहीं करे है अच्छा करते है सभी को प्यार करते है अपने से बड़ो का आदर करते है कभी किसी को बुरा नहीं कहते है और क्रोधित भी नहीं होते है और उस ईश्वर पर विश्वाश रखते है तो वो हमारे खाते में जुड़ जाता है जो की हमारे अगले दिन की शुभ संकेत होते है और हमे जीवन में आगे बढने का संकेत करते है .../और हम निरंतर आगे बडते रहते है ../
अब हमारे द्वारा किये गए अच्छे और बुरे कर्म ही निर्धारित करते है की हम जीवन में धीरे धीरे आगे बडते रहे या फिर तेज़ी से आगे बढ कर फिर गिर पडे ../
एक बात ये भी है की जब ईश्वर हमे जन्म देता है तो हमारे लिए समुचित धन की भी व्यवस्था करता है //की ईश्वर द्वारा जन्म दिया गया व्यक्ति को पूरे जीवन में कितना खर्च करना पड़ेगा / और कहा कहा उसको कितने धन की आवश्यकता पड़ेगी और सही समय आने पर वो धन देता है कभी एक साथ तो कभी धीरे धीरे अवुँश्यकता अनुसार ...
ईश्वर जब हमारे फाइनेंस का अकाउंट बनता है तो वो जनता है की कितना पैसा हम कितने समय में खर्च कर सकते है /ठीक उसी प्रकार की जब एक पिता को मालूम होता है की हमे अपने बच्चे को महीने का कितना जेब खर्च देना है / फिर वो पिता न उससे ज्यादा देता है और न उससे कम .. हा जरुरत पडने पर देता है ज्यादा भी लेकिन जब जरुरत वाजिब होती है तब ही ..फिर बिना जरुरत के बच्चा कितना भी जिद करे वो नहीं देता और घुमा फिरा कर पैसे न होने का बहाना भी बना देता है .. /
फिर जब हमे अपने पिता ( ईश्वर ) से धन मांगते है तो वो भी हमे कई माध्यमों से समझाता है लेकिन हम नहीं समझते है और जिद करते है और करते रहते है और दुसरे रास्तो से पैसा कमाने लगते है ( ईश्वर ) पिता देखता रहता है और कहता है की एकत्र कर लो जितना कर सकते हो ../ एक दिन तो मैं तुम्हे रंगे हाथो पकड ही लूँगा ../
ठीक हमारी वास्तविक जिंदगी में जिस प्रकार हमारे पिता हमे महीने में जेब खर्च के लिए 500 रुपये देते है और हम महीने में 1000 हज़ार खर्च करने लगते है तो हमारे परिवार वालो की नजरे टेडी होने लगती है और एक दिन हम पकडे जाते है //.
इसलिए ईश्वर पर विश्वास करो की ईश्वर जितना दे रहा है उस समय के लिए प्रयाप्त है वो जनता है आगे तुम्हारे साथ क्या होने वाला है या तुम इससे ज्यादा पैसे का क्या करोगे अगर ईश्वर दे भी देगा तो शायद तुम गलत संगत में भी पड़ जाओ इसलिए उस इश्वर पर आस्था रखो और हरी का नाम ले कर ईमानदारी से मेहनत से काम करते रहो ...
ईश्वर जब देता है तो फिर देता ही है अगर आप सही रास्तो पर चलकर पैसा कमा रहे है और उस एक ईश्वर पर विश्वास रखते है ...
क्योंकि शिव बिना शरीर शव है




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