धर्म कर्म



:- धर्म कर्म :-
ईश्वर एक है और वही इस श्रष्टि को चलता है /या यु कहे की की इस संसार रूपी परिवार का एक ही पिता है ईश्वर !और उसके बेटे है है धर्म जो की हमे अपने अपने पिता धर्म के अनुसार चलना सिखाते है इसलिए कोई भी धर्म अच्छा हो सकता है पर बुरा नहीं / बस उस धर्म ( पिता ) के लोगो या धर्मावलम्बियों के द्वारा कुछ बाते अपने लोगो को बरगलाने या अपनी दुकान चलाने का रास्ता मिल जाता है / इसलिए किसी भी धर्म ( पिता ) को कभी भी गलत मत कहो क्योंकि हमारे पिता ने हमे शिक्षा दी संस्कार दिए और हमे समाज में किससे और कैसे बात करनी है /दुसरे के पिता ( धर्म ) ने उन्हे उनके अनुसार शिक्षा दी / अब उनके पुत्र यानि उस धर्म के लोग अपने पिता ( धर्म) की बातो का अनुसरण करते या नहीं ये उनकी गलती है की पिता ( धर्म ) की गलती धर्म के ठेकेदारो की है जो की उन्हे गलत शिक्षा देते है /
  • यानि हिन्दू पिता ( धर्म ) ,मुश्लिम पिता, ईसाई धर्म ,जैन और सिक्ख धर्म सभी धर्म धर्म अच्छे है कुछ ज्यादा प्राचीन है कुछ प्राचीन है सबकी अपनी मान्यता और अपना विश्वास है इस लिए जीवन में किसी भी धर्म को गलत नहीं बोलना चाहिए /
  • दूसरा ये की अपने धर्म पर विश्वास करो की दूसरो के धर्म पर फिरआपका धर्म कुछ भी क्योँ हो ... सम्मान सभी धर्म का करो की अपमान लेकिन विश्वास अपने धर्म पर ही करो ...
  • इसका मतलब ये है की अगर हमारे पिता हमे पालते है बड़ा करते है और हमे अच्छी शिक्षा देते है और हमारी जरूरतों को पूरा करते है लेकिन कभी कभी ऐसा होता है की हमे लगता है की हमे फला वस्तु की जरुरत है लेकिन हमारे पिता को लगता है की नहीं है हम जिद्द करते है शोर मचाते है उस वास्तु को हासिल करने का पूरा प्रयास करते है गर वो वास्तु मिल गई तो हम खुश अगर नहीं मिली तो पिता से नाराज़ क्योँ ? या फिर हम ये करे की अपने पिता पर विश्वास करे और दूसरा रास्ता चुन ले या दुसरे के पिता से उस वस्तु की मांग करे और शायद दुसरे के पिता हमे वो वास्तु दिला भी दे/ लेकिन क्या दुसरे के पिता ये नहीं जानते की आपके पिता ने वो वास्तु क्योँ नहीं दिलाई जानते होंगे और ये भी जानते होंगे की उन्होने समझाया भी होगा लेकिन ये नहीं माना फिर ऐसा व्यक्ति जिसको अपने पिता पर विश्वास नहीं है उसका मुझपर विश्वास कितनो दिनों तक रहेगा /
  • तीसरा ये की जब ईश्वर इस धरती पर पैदा करता है तो हमारे सारे क्रिया कलापों के बारे में अच्छे से जानता है की जन्म से लेकर म्रत्यु तक हमे करेंगे और उसी के अनुसार ही हमे जन्म देता है // ठीक उसी प्रकार जैसे की एक साईकिल और कार बनाने वाला निर्माता जानते है की मेरी साईकिल या कार कितने दिनों बाद ख़राब होगी या इसका एवरेज क्या होगा या इसके ठीक होने में क्या खर्चा आयेगा / ऐसे ह़ीईश्वर भी जानता है की हमारे जीवन में क्या क्या होगा जब पूरी तरह वो मानव की रचना कर लेता है उसके बाद ही इस प्रथ्वी माँ की गोद में देता है /
शिव हरे
अगले अंक में और जाने के धर्म कर्म में /.......तब तक शिव का नाम लेते रहे जय शिव हरे

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