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दहेज़ लोभियों के अंगारों को

दहेज़ लोभियों के अंगारों को    
मैने बेटी के सपनो का महल बना लिया था 
उसकी खुशियों के चार चाँद ले लिए थे 
जब वो जाएगी मेरी दहलीज़ छोड़ कर 
फिर कब मिलेगी किस मोड़ पर 
डर लगता था तब 
जब छोटी सी चोट लग जाती थी तुमको 
अब सोच कर भी डर जाता हूँ 
दहेज़ के नित्य नए किस्से सुनकर 
क्यों लालच बढ़ रहा है दहेज़ के शैतानो का 
पड़ लिख कर क्यों रूप रख रहे हो हैवानो का
तुम्हारी भी तो बहन या बेटी होगी 
 तुम्हे तनिक भी एहसास नहीं उनके दर्द का  
सोच लो ईश्वर ने दे दिया तुम्हे सब कुछ उस दिन 
जब एक पिता रोता है एक बेटी के बिन 
वह लक्ष्मी भी है सरस्वती भी होगी 
अबला बन तुम्हारे अपराध सहती होगी है
चुप थी ,न की वो डरी थी 
रोई भी थी, सोई भी न थी
पिता के प्यार में 
एक तरफ दर्द सही थी 
पता था उसको 
पिता टूट जायेगा बेटी के दुखो से 
जानकर तुम्हारे बाजारू अरमानो को 
मैं देख न सकती थी उसके हालातों को 
इसलिए चुन लिए 
दहेज़ लोभियों के अंगारों को

Pandit Ashish C Tripathi

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जय शिव संभु

जब हम कभी कभार कोई ऐसी गलत चीज़ खा लेते है जिससे की हमारा ह्ज्मा ख़राब हो जाता है या फिर पेट में दर्द होता है तो हम डाक्टर के पास जाते है और डाक्टर चेक करने के बाद पूछता है की क्या खाया था और हम बता देते है कल फला चीज़ खा ली थी डाक्टर जिसकी वजह से ही आप का हजम ख़राब हो गया है कुछ दवाइया दे रहा हु आराम हो जायेगा ..
लेकिन वास्तिक जीवन में हम कुछ ऐसी गलतिया कर देते है जिसकी वजह से हमारे सामने समस्या आ जाती है फिर हम ज्योतिषियों के पास जाते है पूछते है क्या हुआ जो हमे इतनी तकलीफ मिल रही है ज्योतिषी ग्रहों का खेल बता कर कुछ उपाय बताता है लेकिन बाद कुछ आराम मिलता है ./
लेकिन जिस प्रकार हम गलत खाना खाने के बाद कुक्ड सोचे की फला चीज़ खाने की वजह से ये हुआ था टी हम उस चीज़ से तौबा कर लेंगे और अगर हम अपने जीवन में किये गई कर्मो का आकलन कर लेंगे तो हमे जीवन में कभी समस्याओ का सामना नहीं करना पड़ेगा ..
जय शिव संभु
न्यूटन आत्री

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औरत और मर्द कौन है ?

औरत और मर्द कौन है ?
एक बड़ा सवाल की औरत और मर्द कौन है क्या आज के समाज में औरत और मर्द कम हो रहे है
मैने एक व्यक्ति से यही सवाल पूछा की मर्द कौन होता है

उसका जवाब था की मर्द वो होता है जो अपनी मर्दानगी दिखाय
कैसे ये सवाल था
जवाब वो चुप हो गया
शायद उसका अभिप्राय किसी और चीज़ से था
मैने उससे कहा मर्द वो है जो सच का सामना करे और हमेशा सच कहे
मर्द वो है जो गरीबो को न सताए उन पर रहम करे
मर्द वो है जो किसी भी औरत " की इज्ज़त को बेपर्दा न करे
मर्द वो है जो द्रढ़ निश्चय हो
मर्द होता है ....
बाकि मर्द नहीं होते
औरत या स्त्री क्या होती है
औरत वो होती है जो हमेशा अपने कुल की मर्यादा को बनाय रखती है
विषम परीस्थितियो में भी
औरत वो होती है जो अपने कर्तव्यों का निर्वाह करती है
औरत वो होती है अपने उन्मुख विचरो से समाज को अच्छा सन्देश देती है
औरत वो होती है जो लोभी नहीं होती चाहे वो लोभ किसी भी प्रकार का क्योँ न हो
बाकि स्त्री नहीं है
जय शिव संभु


-:BOOK OF GOD :-
-: ईश्वर की पुस्तक
:-

ईश्वर जब हमे जन्म देता है तो एक पुस्तक भी हमारे साथ दे देता है है ..जिस पुस्तक के प्रष्टो को हमे खुद भरना होता है ..या यु कहे की यही हमारा होम वर्क या गृह कार्य होता है ...जैसा की स्कूल में होता है एक मुख्या पुस्तक होती है जो की हमारे गुरु जन के पास होती है और गुरु जन या अध्यापक उस पुस्तक से हमे साल भर पढ़ाते है और पूरी पुस्तक से जो मुख्या पाठ होते है वो ही बताते है जो की हमे परीक्षा के समय सफल होने का मार्ग साफ करते है..और हमरे गुरु जन उस मुख्या पुस्तक से कुछ अध्याय ही पड़ते है प्रतिदिन और हमे गह कार्य या होम वर्क करके लाने के लिए कहते है .. और अगले दिन हमे उसके अनुसार ही नंबर देते है ..और जरुरत पडने पर पिटाई भी करते है ... इस प्रकार ही गुरु और महात्मा हमे ईश्वर द्वरा लिखी गई किताब का सार बताते है और उसी के अनुसार कार्य करने का प्रवचन देते है जो उसके अनुसार कार्य करता है उसे अच्छे नंबर मिलते है जो नहीं करता है उसकी पिटाई होती है ..या यु कहे उसे कष्ट मिलते है ... हम कितने चतुर है सब जानते है ये शायद प्रतेक इन्सान के जीवन की घटना होगी अपवाद छोड़ कर .. की जब हम सभी पढाई करते है तो खूब मेहनत से करते है सभी लेकिन एक गाइड होती है या गेस पेपर या फिर पेपर आउट ही हो जाता है जिसे पाने के लिए लालाइत रहते है क्यों के उसके द्वारा हम आसानी से अच्छे नंबर ला सकते है .. लेकिन क्या आप जानते है की ईश्वर जो किताब हमे देता है जिसमे हमे अपने अच्छे और बुरे कर्म लिखने होते है उसमे भी हम गेस पेपर और गाइड का सहारा लेते है क्यों और कैसे बताता हु ... ईश्वर जो किताब हमे देते है और हमे अपने जीवन में किये गय अच्छे और बुरे कर्म उसमे लिखने होते है लेकिन हम ज्योतिष की सलाह लेकर शोर्ट कट से आगे बढना चाहते है .. हम ज्योतिषियों से जानना चाहते है की हमारे जीवन में कष्ट क्यों है एसा बुरा क्यों हो रहा है हमरे साथ .. लेकिन पूछते समय भी उसके मन में शंका रहती है की क्या ये सही बता पायेगा ..अगर हम अच्छे कर्म करते रहेंगे और जीवन में किसी को पीड़ा नहीं पहुच्येंगे तो हमारी पुष्तक में खुशिया लिखी होनी न की कष्ट .. फिर हम प्रश्न कुंडली हस्त रेखा और अन्य माध्यमो से क्यों जानना चाहते है .या अपने कर्मो को बदलना क्यों चाहते है //क्या हम नहीं जानते की हम अपने जीवन में अच्छे कर्म कर रहे है या बुरे कर्म जानते है फिर भी करते है ये सोच कर कौन देख रहा है .. आप जब अंधरे में होते हो और कोई नज़र नहीं आता तो कौन याद आता है उस समय ईश्वर और सिर्फ ईश्वर क्यों क्योंकि वो सब जगह विद्यमान है उसके लिए अँधेरा क्या उजाला क्या .. और हम जानते है को हमे अंधरे से निकल कर उस्जलेउजाले की और ले जायेगा लेकिन बुरे कर्म करते समय हम ये नहीं सोचते की ईश्वर यहाँ भी हमे देख रहा है और उसके कैमरे से हमारी रिकार्डिंग हो रही है .... इस लिए खुद आचारण बदलो और जीना सीखो मस्त हो कर ..

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ईश्वर के खाते -Accounts of God


ईश्वर के खाते -
Accounts of God

:-
जन्म
देते समय ईश्वर हर इन्सान के जीवन के कई खाते खोलता है !जो हमे ऋण और कैश देते है जिसके द्वारा हमे जीवन में
डिमोशन और पदोन्नति मिलती/पहले ईश्वर द्वारा बनाय गए खाते (Accounts ) कर्म के बारे में जानते है जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है तो जन्मसे 3 वर्ष की अवस्था तक का कोई भी अच्छा और बुरे कर्म का हिसाब किताब नहीं होता है उसके बाद आपके अच्छे कर्मो का हिसाब चालू होता है और 5 वर्ष की अवस्था के बाद आपके बुरे कर्मो का हिसाब किताब चालू हो जाता है /
जब हम अपने माता पिता गुरु जन और अन्य किसी को Bad Words यानि अपशब्द या भला बुरा कहते है या मारते है तो ये हमारे द्वारा किया गया बुरा कर्म है जिसको की ईश्वर आपको लोन के रूप में लेता है यानि आपने जो भी बुरा किया उसका फल आपको बाद में मिलेगा ब्याज सहित या यु कहे बुरा कहने या मार पिटाई करने से हमने जो गुस्सा किया वो हमे ऋण या लोन के रूप में हमारे कर्म के खाते में जोड़ दिया गया ... अब जब लोन लिया है तो चुकाना भी पड़ेगा ...लोन है तो ब्याज भी लगेगा .. / अब ये हमारे ऊपर है की हम अपने जीवन में कितना लोन लेते है क्योंकि चुकाना हमे ही पड़ेगा और अगर हमरी म्रत्यु हो गई तो हमारे बच्चो को चुकाना पड़ेगा तो ऐसे कर्म मत करो की आपको तो भोगना ही पडे साथ में आपकी संतानों और उनकी संतानों को भी भोगना पडे ..
और जब हम अपने जीवन में बुरे कर्म नहीं करे है अच्छा करते है सभी को प्यार करते है अपने से बड़ो का आदर करते है कभी किसी को बुरा नहीं कहते है और क्रोधित भी नहीं होते है और उस ईश्वर पर विश्वाश रखते है तो वो हमारे खाते में जुड़ जाता है जो की हमारे अगले दिन की शुभ संकेत होते है और हमे जीवन में आगे बढने का संकेत करते है .../और हम निरंतर आगे बडते रहते है ../
अब हमारे द्वारा किये गए अच्छे और बुरे कर्म ही निर्धारित करते है की हम जीवन में धीरे धीरे आगे बडते रहे या फिर तेज़ी से आगे बढ कर फिर गिर पडे ../
एक बात ये भी है की जब ईश्वर हमे जन्म देता है तो हमारे लिए समुचित धन की भी व्यवस्था करता है //की ईश्वर द्वारा जन्म दिया गया व्यक्ति को पूरे जीवन में कितना खर्च करना पड़ेगा / और कहा कहा उसको कितने धन की आवश्यकता पड़ेगी और सही समय आने पर वो धन देता है कभी एक साथ तो कभी धीरे धीरे अवुँश्यकता अनुसार ...
ईश्वर जब हमारे फाइनेंस का अकाउंट बनता है तो वो जनता है की कितना पैसा हम कितने समय में खर्च कर सकते है /ठीक उसी प्रकार की जब एक पिता को मालूम होता है की हमे अपने बच्चे को महीने का कितना जेब खर्च देना है / फिर वो पिता न उससे ज्यादा देता है और न उससे कम .. हा जरुरत पडने पर देता है ज्यादा भी लेकिन जब जरुरत वाजिब होती है तब ही ..फिर बिना जरुरत के बच्चा कितना भी जिद करे वो नहीं देता और घुमा फिरा कर पैसे न होने का बहाना भी बना देता है .. /
फिर जब हमे अपने पिता ( ईश्वर ) से धन मांगते है तो वो भी हमे कई माध्यमों से समझाता है लेकिन हम नहीं समझते है और जिद करते है और करते रहते है और दुसरे रास्तो से पैसा कमाने लगते है ( ईश्वर ) पिता देखता रहता है और कहता है की एकत्र कर लो जितना कर सकते हो ../ एक दिन तो मैं तुम्हे रंगे हाथो पकड ही लूँगा ../
ठीक हमारी वास्तविक जिंदगी में जिस प्रकार हमारे पिता हमे महीने में जेब खर्च के लिए 500 रुपये देते है और हम महीने में 1000 हज़ार खर्च करने लगते है तो हमारे परिवार वालो की नजरे टेडी होने लगती है और एक दिन हम पकडे जाते है //.
इसलिए ईश्वर पर विश्वास करो की ईश्वर जितना दे रहा है उस समय के लिए प्रयाप्त है वो जनता है आगे तुम्हारे साथ क्या होने वाला है या तुम इससे ज्यादा पैसे का क्या करोगे अगर ईश्वर दे भी देगा तो शायद तुम गलत संगत में भी पड़ जाओ इसलिए उस इश्वर पर आस्था रखो और हरी का नाम ले कर ईमानदारी से मेहनत से काम करते रहो ...
ईश्वर जब देता है तो फिर देता ही है अगर आप सही रास्तो पर चलकर पैसा कमा रहे है और उस एक ईश्वर पर विश्वास रखते है ...
क्योंकि शिव बिना शरीर शव है




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धर्म कर्म



:- धर्म कर्म :-
ईश्वर एक है और वही इस श्रष्टि को चलता है /या यु कहे की की इस संसार रूपी परिवार का एक ही पिता है ईश्वर !और उसके बेटे है है धर्म जो की हमे अपने अपने पिता धर्म के अनुसार चलना सिखाते है इसलिए कोई भी धर्म अच्छा हो सकता है पर बुरा नहीं / बस उस धर्म ( पिता ) के लोगो या धर्मावलम्बियों के द्वारा कुछ बाते अपने लोगो को बरगलाने या अपनी दुकान चलाने का रास्ता मिल जाता है / इसलिए किसी भी धर्म ( पिता ) को कभी भी गलत मत कहो क्योंकि हमारे पिता ने हमे शिक्षा दी संस्कार दिए और हमे समाज में किससे और कैसे बात करनी है /दुसरे के पिता ( धर्म ) ने उन्हे उनके अनुसार शिक्षा दी / अब उनके पुत्र यानि उस धर्म के लोग अपने पिता ( धर्म) की बातो का अनुसरण करते या नहीं ये उनकी गलती है की पिता ( धर्म ) की गलती धर्म के ठेकेदारो की है जो की उन्हे गलत शिक्षा देते है /
  • यानि हिन्दू पिता ( धर्म ) ,मुश्लिम पिता, ईसाई धर्म ,जैन और सिक्ख धर्म सभी धर्म धर्म अच्छे है कुछ ज्यादा प्राचीन है कुछ प्राचीन है सबकी अपनी मान्यता और अपना विश्वास है इस लिए जीवन में किसी भी धर्म को गलत नहीं बोलना चाहिए /
  • दूसरा ये की अपने धर्म पर विश्वास करो की दूसरो के धर्म पर फिरआपका धर्म कुछ भी क्योँ हो ... सम्मान सभी धर्म का करो की अपमान लेकिन विश्वास अपने धर्म पर ही करो ...
  • इसका मतलब ये है की अगर हमारे पिता हमे पालते है बड़ा करते है और हमे अच्छी शिक्षा देते है और हमारी जरूरतों को पूरा करते है लेकिन कभी कभी ऐसा होता है की हमे लगता है की हमे फला वस्तु की जरुरत है लेकिन हमारे पिता को लगता है की नहीं है हम जिद्द करते है शोर मचाते है उस वास्तु को हासिल करने का पूरा प्रयास करते है गर वो वास्तु मिल गई तो हम खुश अगर नहीं मिली तो पिता से नाराज़ क्योँ ? या फिर हम ये करे की अपने पिता पर विश्वास करे और दूसरा रास्ता चुन ले या दुसरे के पिता से उस वस्तु की मांग करे और शायद दुसरे के पिता हमे वो वास्तु दिला भी दे/ लेकिन क्या दुसरे के पिता ये नहीं जानते की आपके पिता ने वो वास्तु क्योँ नहीं दिलाई जानते होंगे और ये भी जानते होंगे की उन्होने समझाया भी होगा लेकिन ये नहीं माना फिर ऐसा व्यक्ति जिसको अपने पिता पर विश्वास नहीं है उसका मुझपर विश्वास कितनो दिनों तक रहेगा /
  • तीसरा ये की जब ईश्वर इस धरती पर पैदा करता है तो हमारे सारे क्रिया कलापों के बारे में अच्छे से जानता है की जन्म से लेकर म्रत्यु तक हमे करेंगे और उसी के अनुसार ही हमे जन्म देता है // ठीक उसी प्रकार जैसे की एक साईकिल और कार बनाने वाला निर्माता जानते है की मेरी साईकिल या कार कितने दिनों बाद ख़राब होगी या इसका एवरेज क्या होगा या इसके ठीक होने में क्या खर्चा आयेगा / ऐसे ह़ीईश्वर भी जानता है की हमारे जीवन में क्या क्या होगा जब पूरी तरह वो मानव की रचना कर लेता है उसके बाद ही इस प्रथ्वी माँ की गोद में देता है /
शिव हरे
अगले अंक में और जाने के धर्म कर्म में /.......तब तक शिव का नाम लेते रहे जय शिव हरे